Solar Panel: असली और नकली सोलर पैनल में क्या है फर्क, ऐसे करें पहचान

बाजार में विभिन्न क्षमताओं और तकनीकों के सोलर पैनल उपलब्ध हैं, जिन्हें आमतौर पर A-ग्रेड और B-ग्रेड में वर्गीकृत किया जाता है। A-ग्रेड सोलर पैनल उच्च गुणवत्ता और प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं, जबकि B-ग्रेड पैनल में कम गुणवत्ता और क्षमता हो सकती है। A-ग्रेड पैनल में बेहतर सामग्री का उपयोग होता है, जिससे उनकी जीवनकाल और कार्यक्षमता अधिक होती है। उपभोक्ताओं के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि वे किस प्रकार के सोलर पैनल का चयन कर रहे हैं। असली सोलर पैनल की पहचान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखें, जैसे कि प्रमाणपत्र, वारंटी और उत्पाद की विशेषताएँ। सही जानकारी से आप धोखाधड़ी से बच सकते हैं और दीर्घकालिक निवेश सुनिश्चित कर सकते हैं।
जानिए A-ग्रेड और B-ग्रेड सोलर पैनल के बारे में
सोलर पैनल की गुणवत्ता समझने के लिए A-ग्रेड और B-ग्रेड पैनल के बीच के अंतर को जानना जरूरी है। A-ग्रेड पैनल उन सोलर पैनलों को दर्शाते हैं जो सभी मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग मानकों पर खरे उतरते हैं। इनकी वोल्टेज आउटपुट और कार्यक्षमता उच्च होती है, क्योंकि इन्हें निर्माण के बाद विस्तृत परीक्षण किया जाता है। यदि ये मानक पूरे करते हैं, तो इन्हें वारंटी के साथ बेचा जाता है, जो उपभोक्ताओं के लिए एक सुरक्षा कवच बनाता है।
वहीं, B-ग्रेड पैनल वे होते हैं जो निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते। इनमें वोल्टेज आउटपुट कम हो सकता है और ये वारंटी के बिना बेचे जाते हैं। कंपनियां इन्हें सस्ते दर पर बेचती हैं, लेकिन इनका प्रदर्शन A-ग्रेड पैनलों की तुलना में कमजोर होता है। इसलिए, सही सोलर पैनल का चयन करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आप एक बेहतर और सुरक्षित निवेश कर सकें।
क्या है सोलर पैनल की मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग प्रक्रिया जानिए
सोलर पैनल की मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि उत्पाद उच्च गुणवत्ता का हो। जब एक सोलर पैनल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो उसे परीक्षण के लिए भेजा जाता है। परीक्षण के दौरान, पैनल की वोल्टेज आउटपुट की जांच की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि एक पैनल का अपेक्षित आउटपुट 335 वाट है, लेकिन परीक्षण में वह 338 वाट देता है, तो उसे 335 वाट का स्टिकर लगा दिया जाता है। इसी तरह, यदि वह 330 वाट का आउटपुट देता है, तो उसे 330 वाट के स्टिकर के साथ मार्केट में बेचा जाता है।
सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार, हर सोलर पैनल पर दोनों तरफ स्टिकर लगाए जाने का नियम है, जिससे उपभोक्ताओं को पैनल की सही पहचान हो सके। कंपनियों को 2% की टॉलरेंस दी जाती है, यानी यदि पैनल का आउटपुट 335 वाट है, तो 335 वाट के साथ ±2% की भिन्नता भी स्वीकार्य होती है।
कैसे करनी चाहिए असली और नकली सोलर पैनल की पहचान जानिए
सोलर पैनल खरीदते समय यह जानना बेहद जरूरी है कि आप असली उत्पाद खरीद रहे हैं या नकली। खासकर B-ग्रेड पैनल को कंपनियां अक्सर बिना वारंटी के बेचती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी का सामना करना पड़ सकता है। स्टिकर-असली सोलर पैनल के अंदर और बाहर दोनों तरफ स्टिकर होते हैं, जिन पर वोल्टेज आउटपुट की स्पष्ट जानकारी होती है।
यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि पैनल की गुणवत्ता मानक पर खरी उतरती है।वारंटी सर्टिफिकेट-जब आप सोलर पैनल खरीदें, तो कंपनी द्वारा जारी वारंटी सर्टिफिकेट मांगना न भूलें। यह सर्टिफिकेट असली पैनल के साथ होता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है। कर्व रिपोर्ट-यह रिपोर्ट पैनल की टेस्टिंग जानकारी प्रदान करती है, जिसमें वोल्टेज और आउटपुट का विवरण होता है।
RFID टैग-असली सोलर पैनल में RFID टैग होना चाहिए, जो इसकी सत्यता को प्रमाणित करता है। A-ग्रेड और B-ग्रेड सोलर पैनल के बीच मुख्य अंतर उनकी गुणवत्ता और वारंटी में होता है। A-ग्रेड पैनल सभी मानकों पर खरे उतरते हैं और वारंटी के साथ आते हैं, जबकि B-ग्रेड पैनल बिना वारंटी के होते हैं। सही सोलर पैनल का चयन करते समय इन बिंदुओं पर ध्यान देने से उपभोक्ता एक सही और भरोसेमंद उत्पाद खरीद सकते हैं।